अपने घर से भगाया हुआ मैं डर के मारे छिपा हुआ बचाता अपना जीवन दरवाजे भेड़े जाते मेरे चेहरे पर.
3.
तब से ले के अब तक कई दिन बीत चुके हैं और मैं अनिद्रा के अनशन पर बैठा हूँ पानी के छींटे, कॉफ़ी, और नींद भगाने वाली दवाइयों से मैंने नींद को दूर भगाया हुआ है..
4.
इधर गांव-जयवार में शहर-बाजार में समाज में, मिजाज में देश और भीड़ का फर्क मिट रहा था संविधान के सारे मुहावरे लगभग चीख रहे थे उधर भीड़ से भगाया हुआ एक कवि हाशिये पर हांफ रहा था लगभग भांट की तरह शायद बांच रहा था ” गर महंगाई से मारेंगे तो बक्शीश क्या दोगे जी? ''